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________________ हितीयखम. १ ना दुआ है और कहां कहां जलने जमील रोकी है. जैनमतके शास्त्र में लिखा है कि आगे इस समुश्का पानी इहां नही था, महासागरमेंसे सगर चक्रवर्ती लाया, अंग्रेजोने इस समुश्का दविणादि किनारा नहि पाया है, और जो लूगोलादि कटपन करा है सोनी अपनी अक्कलकी अधिकारतार्से, परंतु परोक्ष वातो इनकी अकलसें रद्द नहि दोती है, और कालदोषसें जैन मतके सर्व शास्त्र न रहने से और यथार्थ अर्थ बतानेवाले आचार्यके अन्नावसे जैन शास्त्र जूळे नहि हो सक्ते है. जैनशास्त्रका उपदेष्टा अगरह दूषण रहित था इस वास्ते जैन मतके शास्त्र सच्चे है तथा जैन मतमें जैसा त्याग, वैराग्य और संयमकी बारीकी और बं. दोबस्त है और जिस जिस अपेक्षासें जो जो कथन करा है सो सो वाचनेवालेका चित्तको चमत्कार उत्पन्न करता है. क्या वेद ओर क्या अन्य शास्त्र, सर्व जैन मतके शास्त्र आगे निर्मात्य लगता है, यह मेरा कहना तब सत्य मालुम होवेगा जब जैनमतका शास्त्र परीक्षा करनेवाला पढ़ेगा. इतिहासतिमिरनाशकका लखनेवाला लिखता है कि जैन और बौः एक मत है, सो ननकी बमी नूल है क्योंकि जैन और बौ६ मतमे इतना अंतर है. कि जैसा रात और दिनमें है. जेकर इतिहासतिमिरनाशकके लिखनेवाला जैन और बौ६ मतका तत्वको जानता तो ऐसा कदापि न लिखता, आजसे १२ वर्ष पहिला महावीर नगवंतका पावापुरीमें निर्वाण हुआ, जब श्रीमहावीर विद्यमान थे तब बौः मतका शाक्यसिंह गौतम नामका को गुरु नहि बा; निःकेवल इतिहास और तवारीख लिखने वालोंने महावीर लगवंतकाही शाक्यसिंह गौतम करके लिखा है. इतिहास तिमिरनाशकका लिखनेवाला शाक्यमुनिकी स्त्रीका नाम यशोधरा लिखता है. श्रीमहावीरके गृहस्थवासकी स्त्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003648
Book TitleAgnantimirbhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1906
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Vaad, & Philosophy
File Size22 MB
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