SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथमखम. परमेश्वर सब जीवोंके लिये वेदोंमें बताता है ॥६॥ पूर्वे प्रसंगका अन्निप्राय यह है कि मोक्षकी श्छा सब जीवोंकों करनी चाहिये (यदन्तरांग) जो कि आत्माकान्नी अंतर्यामी है नसीको ब्रह्म कहते है और वही अमृत अर्थात् मोक स्वरूप है और जैसे वह सबका अंतर्यामी है वैसे नसका अंतर्यामी कोईनी नहीं किंतु वह अपना अंतर्यामी आपही है. ऐसे प्रजानाथ परमेश्वरके व्याप्तिरूप सन्ना. स्थानकों में प्राप्त होऊ और इस संसार में जो पूर्ण विद्वान ब्राह्मण है नुनके बिचमें (यशः) अर्थात् कीर्तिको प्राप्त होऊ तथा (राज्ञां) कृत्रियों (विशां) अर्थात् व्यवहारमें चतुर लोगोंकें बीचमें यशस्वी होळं. हे परमेश्वर ! मैं कीर्तियोंकानी कीर्तिरूप होके आपको प्राप्त ह्या चाहता हूं. आपनी कृपा करके मुझकों सदा अपने समीप रखिये॥॥ अव मुक्तिके मार्गका स्वरूप वर्णन करते है. (अणुः पन्था) मुक्तिका जो मार्ग है सो अणु अर्थात् अत्यंत सूक्ष्म है.(वितर) नस मार्गसे विमुक्त मनुष्य सब दोष और दुःखोसे पार सुगमतासें पहुंच जाता है, जैसें दृढ नोकासें समुश्को तर जाते है. तथा (पुराणः) जो मुक्तिका मार्ग है वह प्राचीन है, दूसरा कोई नही मुझकों (स्पृष्टः) वह इश्वरकी कृपासे प्राप्त दूआ है नसीमागैसें विमुक्त मनुष्य सब दोष और 5 खोस बूटे हूये (धीरा.)अर्थात् विचारशील और ब्रह्मवित् वेदविद्या और परमेश्वरके जानने वाले जीव (उत्क्रम्य ) अर्थात् अपने सत्य पुरुषार्थसें सबदु:खोंका उल्लंघन करके (स्वर्गलोकं) सुखस्वरूप ब्रह्मलोकको प्राप्त होता है॥ ॥ (तस्मिक्ल ) अर्थात् नसी मोक्षपदमें (शुक्ल) श्वेत (नील) शुइ घनश्याम (पिंगल) पीला श्वेत ( हरित) हरा और (लोहित ) लाल ये सब गुणवाले लोक लोकांतर झानमें प्रकाशित होते है. यही मोदका मार्ग परमेश्वरके साथ समागमके पीछे प्राप्त होता है. अन्य प्रकारमें नही ॥ ए.॥ (प्राण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003648
Book TitleAgnantimirbhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1906
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Vaad, & Philosophy
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy