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अज्ञानतिमिरनास्कर. ___स्मृति, पुराण, इतिहास, तथा काव्य येह ग्रंय ऋषियोक करे है. तिल वारले आर्ष कहे जाते है. तिस पीछे लोकोने यह मानाकि अब जगतमें ऋषि नही है, मनुष्य है. तिनके करे ग्रंथ पौरुष कहे जाते है. तिसी तरेंकें ग्रंथोकों निबंधनी कहते है. वे ग्रंथ संस्कृतमें है. और माधव हेमादि कमलाकर इत्यादि ग्रंथकार बहुत हो गये है. तिनोंने आर्ष ग्रंथोकी बाया लेके अनेक तरेके ग्रंय रचे है. ऐसे निबंध ग्रंथो कौस्तुनकार विवाह प्रकणमें गपा दुया ग्रंथ तिसके पत्रे २१७ में लिखा है
___ “अत्र जयंतः गोः प्रतिनिधित्वेन गग पालन्यते, नत्सर्जन पकेपि गग एव निवेदनीय इति ॥ गौरितिगविमनसि धृतायां हात्रिंशत्पणात्मकनिष्क्रयगगे मनसि धृते पणात्मको निष्क्रयो देयः । नामांसो मधुपर्को नवति इति सूत्रात् ॥ नत्सर्जनपकेपि अन्येन मांसेन नोजनादानमिति । वृत्तिजयंतादिनिरमिधानाच" __ अर्थ--गायके ठिकाने बकरा मारना चाहिये जेकर गाय गेडनेका पद लीना होवेतो तिसके रुपश्ये ३२ बत्तीस देने और बकरेके बदले रुपक १ एक देना. मांस विना मधुपर्क होता नही, ऐसा आश्वलायन सूत्र में लिखा है. इसवास्ते नत्सर्जन पर जेकर माने तोजी अन्य तरेका मांस ख्याके नोजन कराना, ऐसे जयंतादि वृत्तिकारोंने कहा है.
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--Resernor--
॥ श्राम विवेकमें लिखा है। अथ मांसानि ॥ गंमकमांसं विषाणसमयानुस्थितशृंगगग मांसं सर्वलोहितगगमांसं हरिणविचित्रहरिणकृष्णहरिणशंबर
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