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________________ प्रथमखम. अर्थ- जन्मसे उके मासमें अन्न प्राशन संस्कार करणा. २ बकरका मांस इस संस्कारमें खवरादें तो धन धान्यकी वृद्धि करे है. ३ तीतर पक्षीका मांस खानेको देवेतो ब्राह्मणमें ब्रह्मतेजकी वृद्धि होती है. गृह्यसूत्र के प्रथमाध्यायकी चौवीसम। कंमिकामें मधुपर्क विधि लिखी है तिसके सूत्र नीचे लिखे प्रमाण है. १ ऋत्विजो त्वा मधुपर्कमाहरेत् १,२४, १, २ स्नातकायोपस्थिताय ॥ १-२४-१ ३ राज्ञेच १-३ ४ आचार्यश्वशुरपितृव्यमातुलानां च ४ ५ आचान्तोदकाय गां वेदयन्ते २३ ६ हतो मे पाप्मा पाप्मा मेहत ॥ इति जपित्वोंकुरुते तिकारयिष्यन् २४ ___ नारायणवृत्ति-श्मं मंत्रं जपित्वा ओमकुरुतेति ब्रूयात् यदि कारयिष्यन् मारयिष्यन् नवति तदा च दाता आलनेत. ७ नामांसो मधुपर्को भवति ॥ २६ नारायणवृत्ति-मधुपर्काङ्गनोजनं अमांसं न नवतीत्यर्थः पशु करणपके तन्मांसेन नोजनं नत्सर्जनपके मांसान्तरेण ।। अर्थ-१ यज्ञ करने वास्ते ऋत्विज खमा करते वखत तिसकों मधुपर्क देना चाहिये. इसी तरें विवाह वास्ते जो वर घरमें आवे तिसको मधुपर्क और राजा घरमें आवे तिसको देना चाहियें. ४ आचार्य गुरु घरमें आवे अथवा श्वसुर घरमें आवे अ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003648
Book TitleAgnantimirbhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1906
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Vaad, & Philosophy
File Size22 MB
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