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श्री आत्मप्रबोध.
विषे वीश चैत्यो . जंबू, शामली, प्रमुख, मूल दश वृक्षोने विषे जे दश चैत्यो बे, ते पूर्वे कहेल अविसंवादी चैत्योनी गणनामां ग्रहण करेला ; पण तेना परिवार नूत एवा अगीयारसो अने साउनी संख्यावाळा लघु जंबू आदी वृक्षो जे, तेश्रोमां चैत्योनी संख्या तेटली ज डे ; ते आ स्थले ग्रहण करवा. .... वनी बत्रीश राजधानीओने विषे बत्रीश चैत्यो जे. एथी विसंवादी स्थानना सर्व चैत्योनी संख्या बे हजार, आठसो अने वारनी थाय जे. एवी रीते अविसंवादी तथा विसंवादी बने स्थानोना सर्व चैत्योनी संख्या मेळवतां कुल मळीने बत्रीशोने पंचोतेर चैत्यो थाय छे. अने नवं लोकने .विषे चोराशी लाख, सत्ताएं हजार अने त्रेवीश चैत्योनी संख्या बे. ते संख्या प्रत्येक विमाने एकेक चैत्यना सदनावथी थाय . ए प्रथम गाथानो अर्थ थयो.
बाकीनी बे गाथा वो ते कहेला चैत्योने विषे अनुक्रमे जिन बिंबोनी संख्या दर्शावे . अधो लोकने विषे तेरसोने नेवाशी क्रोम अने साठ लाख प्रतिमाओ जे. तेटली संख्या दरेक चैत्ये एकसो एंशी जिनबिंबना सदनावी थाय जे. तिरग लोकमां त्रण लाख, त्राणुं हजार, बशो अने चालीश जिन बिंबो जे, ते आ प्रमाणे-नंदीश्वर, रुचक अने कुंमल छीपने विष रहेला साउ चैत्योमा प्रत्येकने विषे एकसो चोवीश बिंबोना सदनावथी अने बाकीना स्थानने विष रहेला सत्यावीशसो अने बावन चैत्योनी अंदर एकसो वीश बिंबोना सदनावी-उपर कहेली संख्या थाय जे.
__तथा ऊपरना लोकमां एकसो बावन क्रोम, चोराणुं लाख, चुमालीश हजार सातसो अने साठ शाश्वत प्रतिमाओ जे. बार देवलोकने विषे रहेला चैत्योनी अंदर प्रत्येके एकसो एशी बिंबोनो स्वीकार होवाथी तेमज नवग्रैवेयक तथा पांच अनुत्तर विमानने विष रहेला चैत्योनी अंदर प्रत्येके एकसो वीश जिनबिंबो होवाथी ऊपर कहेली संख्या थाय . ए बीजी गाथानो अर्थ जाणवो. सर्व चैत्योना जिनबिंबोनी संख्या केटली ने ? तेने माटे नीचेनी वे गाथा कहेली .
“ सव्वेवि अहकोमिलस्का सगवन्न उसयअमनना । तिहुअण चेश्य वंदे असंखदहि दीवजोश्वणे ॥१॥
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