SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री आत्मप्रबोध. अर्थ-चोरी करवी नहीं, कोऽ जीवने मारवा नहीं, परस्त्री गमन करवं नहीं, वधारे शक्ति होयतो विशेष दान आप, अने अपशक्ति होय तो थोड़ें दान आपवं, एम करवायी सुखे देवलोकमां जवाय जे. जेमनी पासे काळी कांबवो होय जे, जे वृतना गलना वस्त्रो पेहेरे जे अने जेत्रो छासयो नरेन। दाएं। नुपर गटना राव। लोला मुगंधी आंबाना वृक्ष नीचे रहेला , एवा गो. वालीयाओने गुरु महाराज कहे जे के, तमारे आव। सामग्री ले ते उतां तमारा जाग्यमां वो शुं म्वर्ग ? तमारे तो अहींज स्वर्ग . १-२ प्राचार्यनी आ वाण। सां नळी ते गोवालोयाओ खुशी खुशी था गया अने सर्वे एक साथ कहेवा लाग्या के, आ महाराजे आ मुकुंदने जीती स्रोधो . ते पञ्। ते वृक्षवाद। आचार्य राजस नामां गया अने त्यां मुकुंदनी साथे चर्चा कर। तेने पराजित कर। दोधो अन तेने पोतानो शिष्य बनाव्यो. अने तेनुं कुमुदचंड एवं नाम राख्यु. कुमुदचंड ते आचार्यन। पासे अज्यास करी आगळ वध्या. पर। गुरुए तेनुं सिझसेन दिवाकर एवं नाम आप्युं. अने त्यारयो ते एज नामयो विख्यात थया हता. एक वखते सिरसेन दिवाकरन। पास कोई नट वाद करवाने आव्यो हतो. तेने संजळाववा माटे ते चतुर विधाने " नमो अरिहंताणं" इत्यादि प्रा. कृत पाउने बदने “ नमोऽहसिघाचार्योपाध्याय सर्व सावत्यः " एवो संस्कृत बोळ्या हता. ए संस्कृत वाक्य चाँद पर्वन। आदिमा रहे हतुं. एक दिवसे दिवाकरे पोताना गुरुने पुग्यं के, आपणा सर्व जैन आगमो प्राकृत जाषामां , ते संस्कृतमां होय तो केवा बने ? जो आपनी आझा होय तो हुं ते सर्वने संस्कृतमा गोठवी दनं. त्यारे गुरुए सिझसेन दिवाकरने नोचेना श्लोकयी कडं-- " बासस्त्री मंदमूर्खाणां, नणां चारित्रकाक्षिणाम् । अनुग्रहाय तत्त्वज्ञैः, सिद्धांतः प्राकृतः कृतः" ॥१॥ वाल, स्त्री, मंद बुछि, अने पूर्व एवा चारित्रना अनिवाषी पुरुषोनी पर अनुग्रह करवा माटे तत्त्वज्ञ पुरुपोए जैन सिचांतने प्राकृत करेलो . ? Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003647
Book TitleAtmprabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinlabhsuri, Zaverchand Bhaichand Shah
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1912
Total Pages464
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy