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श्री आत्मानंद ग्रंथमाला नंबर २२ मो.
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श्रीमद् जिनलाभसूरि विरचित,
श्री
आत्मप्रबोध भाषांतर
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जिन वचनामृत महोदधिमाथी धुरंधर गीतार्थ पंडित वचनतरंग बिन्दुरुप सम्यक्त्व, देशविरति, सर्वविरति अने परमात्मभाव स्वरूप विगेरे अनेक विषयोपर दृष्टांतयुक्त विस्तारथी
विवेचन.
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अनुवादक, स्वर्गस्थ झवेरभाइ भाश्चंद शाह,
भावनगर निवासी.
बाबुसाहेब प्रतापचंदजी गुलाबचंदजी मुंबइ निवासीए करेली
आर्थिक सहायवडे,
छपावी प्रसिधकर्ता, श्री जैन आत्मानंद सभा
भावनगर.
वीर संवत २४३८ आत्म संवत १७ विक्रम संवत १९६८ इ. स. १९१२
धी" आनंद " प्रान्टींग प्रेस-भावनगर. అదిరికిరి సిరికిరికిరికిరికిరికివ కిక్కిరిసి పనికిరిని నియంత కికి
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