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के लोगों की स्थिति प्रायः अच्छी है । धार्मिक भावना कम दिखती है। लोग भद्र स्वभावी है। प्रचार करने की बड़ी आवश्यकता है।
उप्पुवेलूर :- यह बड़ा गाँव है । इसमें जैनों के ४० परिवार है । यहाँ सुन्दर जिनालय है। लोग धर्मप्रिय एवं संपन्न है । परंपरा से भक्त है । मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ है। मन्दिर विशाल एवं मनोहर है । मूलनायक भगवान् आदिनाथ प्रभु है । धातु की प्रतिमायें बहुत है। शासन देवताओं की मूर्तियां है । क्षेत्रपाल का अलग मन्दिर भी है। मानस्तंभ है । सुन्दर गोपुर है । धर्म के प्रति श्रद्धा भक्ति साधारण है।
आलग्रामम् :- यह गाँव टिंडीवनम से २० कि. मी. पर है। यहाँ ऋषभनाथ प्रभु का जिनालय है। भगवान् महावीर निर्वाण २५०० वें महोत्सव के समय पर स्थापित धर्मचक्र स्तूप है । मन्दिर सुन्दर एवं मजबूत है। तमिलनाडु के हर एक मन्दिर में नैवेद्य बनाने का एक अलग कमरा रहता है । उसमें पूजारी भगवान् के लिए नैवेद्य तैयार करता है। यहाँ एक प्रथा और है कि सभी भगवानों का अभिषेक नहीं किया जाता किन्तु सिंहासन पर एक भगवान् को विराजमान कर उसी का पंचामृत से अभिषेक होता है। यहाँ धातु की अनेक मूर्तियां है । गणधर परमेष्ठी की भव्य प्रतिमा जपमुद्रा के रुप में पीछी कमण्डलु सहित है। पाण्डुकशिला भी है। यहाँ हर साल आषाढ़ माह में ८ दिन तक ब्रह्मोत्सव होता है। श्रावकों की भक्ति भावना अच्छी है। यहाँ श्रावकों के ४० घर है ।
सेण्डियंबाक्कं :-- यह गाँव आलग्राम से ४ कि. मी. पर है । छोटा सा गाँव है । एक दिगम्बर जैन मन्दिर है । मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ है लेकिन अधूरा है। धातु की प्रतिमायें है। शासन
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