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________________ देवताओं की प्रतिमायें भी है। मूलनायक श्वेत पाषाण के हैं । अत्यन्त सुन्दर है। यहाँ २५ श्रावकों के घर है । आवश्यक त्यौहारों पर उत्सव मनाते हैं । चतुर्दशी, पूर्णिमा आदि का व्रत भी करते हैं । तामिलनाडु में जैन महिलाओं में यह प्रथा प्रचलित है कि हर एक महिला पूर्णिमा के दिन एकासन करती है। परमण्डूर :- यह प्राचीन गाँव है । यहाँ दो दिगम्बर जैन मन्दिर है । यहाँ विद्वान् लोग रहा करते थे। इस मन्दिर में ताडपत्र के सैकड़ों ग्रन्थराज थे । अब नहीं है। चोरी हो गये हैं । एक आदिनाथ स्वामी का मन्दिर है । दूसरा चन्द्रप्रभ भगवान् का है । धातु की काफी मूर्तियां हैं । कुछ वेदी पर है और कुछ अलमारी में है। जिनालय हजारों वर्ष प्राचीन है । कूष्माण्डिनी देवी की मूर्ति नयनाभिराम है । शासन देवताओं की मूर्तियाँ हैं । महासभा द्वारा कुछ जीर्णोद्धार हुआ है लेकिन अधूरा है । मानस्तम्भ और ध्वज स्तम्भ है । आचार्य निर्मलसागरजी की चरणपादुकायें विराजमान है। सबसे पुरातन मन्दिर जो गाँव से जरा दूर पर है , उसका जीर्णोद्धार हुआ है। अब वहाँ शास्त्र भण्डार नहीं है। पहले था । मन्दिर के चारों और जैन लोगों का निवास है। यहाँ करीब ६० श्रावकों के घर है। लोग धर्म श्रद्धालु हैं। तिरुनरुंकुन्ट्रं :- यह अत्यन्त प्राचीन अतिशय क्षेत्र है। यह तिरुक्कोयिलूर से १८ कि.मी. पर है। यह मन्दिर पहाड़ पर है। ऊपर चढने के लिए सीढ़ियों की व्यवस्था है। इसमें पार्श्वनाथ भगवान् को 'अप्पाण्डैनाथर' के नाम से पूजते हैं। यहाँ एक चन्द्रनाथ भगवान् का जिनमन्दिर भी है। यहाँ कई शिलालेख मिलते हैं । कुलोत्तुंग चोलराजा के नौवीं सदी में 'वीरसेगाकाडवरायर' ने 79 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003645
Book TitleTamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2001
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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