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वेल्लिमेटुपेट्टै :- यहाॅ का जिनालय साफ-सुथरा है । व्यवस्था अच्छी है । मूलनायक अनन्तनाथ स्वामी है । मानस्तम्भ है। पद्मावती देवी का मन्दिर है । यह देवी चमत्कारयुक्त है I धातु की काफी प्रतिमायें हैं। शासन देवताओं की मूर्तियाँ हैं । इस गाँव में करीब ३० जैन परिवार है । यह तिण्डिवनं और वन्दवासी रोड़ पर है । महासभा से अनुदान दिया हुआ है I
पेरणी : :- यह वीडूर से ८ कि. मी. पर है। यहाँ १५०० वर्ष प्राचीन जिनालय है। मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान् है । अत्यन्त कलात्मक मूर्ति है । कूष्माण्डिनी, पद्मावती, धरणेन्द्र- इन तीनों की अलग-अलग वेदियाँ है। यहाॅ धातु की प्रतिमायें २० हैं । सुना जाता है कि यहाॅ पर १०० जिनमन्दिर थे। ऐसी अवस्था में श्रावकों की आबादी कितनी रही होगी ? यह सोचने की बात है। वह एक स्वर्णिम जमाना था । आज की बात अलग है, करीब २५ घर जैनों के हैं। कहा जाता है कि जमीन से मन्दिर निकला था । उस में पद्मासन पार्श्वनाथ, खड्गासन पार्श्वनाथ, पद्मासन महावीर स्वामी की मूर्तियाँ निकली। उन्हें सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया है। मन्दिर की व्यवस्था ठीक-ठीक है । महासभा की तरफ से सहायता दी गई थी । उससे पूरा काम नहीं हो सका । काम अधूरा है। प्रचार की आवश्यकता है ।
पेराऊर :- यह एक बड़ा गाँव है। यहाॅ का मन्दिर २००० वर्ष प्राचीन है। प्रथम गोपुर द्वार पाँच मंजिल का है । तामिल प्रान्त के अन्दर प्रायः जिनालयों का प्रवेशद्वार इसी प्रकार का रहा करता था । विशाल मानस्तम्भ है । बायीं ओर आदिनाथ भगवान् का जिनालय है । मानस्तम्भ के आगे सभा-मण्डप है । धातु के करीब ४० बिम्ब है । शासन देव - देवियों की मूर्तियां है । मन्दिर की हालत साधारण है । इस गाँव में ३० दिगम्बर जैन परिवार है। पद्मावती देवी का अलग मन्दिर है । यहाँ
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