________________
नगरं-नेत्रपाक्कं :- मेलपन्दल से ६ किलोमीटर पर है। यह छोटा सा गाँव है । यहाँ चार जैनों के घर है। यहाँ से एक किलोमीटर पर जंगल में छोटा सा जैन मन्दिर है, बहुत सुन्दर है। इसके चारों ओर खण्डहर पड़ा है, इससे ज्ञात होता है कि एक जमाने में यहाँ पर विशाल मन्दिर रहा होगा । इसका जीर्णोद्धार साहू रमारानी के कोष से हुआ है। मूलनायक नेमिनाथ भगवान् है। यह एक तरह से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। यह क्षेत्र नेत्रपाक्कं भी कहा जाता है । यहाँ की धातुओं की मूर्तियों को नेत्रपाक्कं में ले जाकर रखा गया है। यहाँ चोरी का भय है । आसपास में कोई घर नहीं है ।
तच्चूर :- यह एक प्राचीन स्थल है। यह आरनी से १० किलोमीटर पर है। यहाँ आदिनाथ भगवान् का १००० साल पूराना जिनमन्दिर है। अन्य धातु की प्रतिमायें हैं। शासन देवताओं की मूर्तियाँ भी है। कहा जाता है कि एक मार्च के दिन सूर्य की किरणें प्रातः काल वृषभनाथ स्वामी के चरणस्पर्श करती है। यह एक अतिशय है। यहाँ जैनियों के २५ घर है। इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ है। प्रतिष्ठा भी हुई है । मन्दिर सुरक्षित है । दर्शन करने लायक है।
सेरप्पेरिपालयं :- यह तच्चूर से २ किलोमीटर पर है। यहाँ करीब १० घर जैनियों के हैं परन्तु मन्दिर प्राचीन है । मन्दिर की अवस्था दयनीय है। इसका जीर्णोद्धार होना आवश्यक है । महासभा की तरफ से सहायता दी गई है। पूर्णरूप से जीर्णोद्धार नहीं हुआ है। रोज अभिषेक होता है। मूलनायक आदिनाथ भगवान् है, अन्य धातु की मूर्तियां भी है। शासन देवताओं की प्रतिमायें भी है। मन्दिर कलात्मक है।
68
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org