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मान लिया जाता है। मतान्ध लोगों की विचारने की शक्ति क्षीण हो जाती है। फिर क्या ? चाहे सत्य हो अथवा असत्य हो, अपने-अपने धर्म के आचार्य के कह देने पर, सत्य मान लिया जाता था । धर्माचार्य के सामने किसी को बोलने की गुंजाइश नहीं थी। वह तो भगवान् का ठेकेदार, चेला समझा जाता था। उसके मुंह से जो कुछ निकलता था, वह भगवान् की वाणी समझी जाती थी। अंधविश्वास का जमाना था।
हिन्दु धर्म का भक्ति मार्ग आसान और सरल था। ऐसे सुलभ मार्ग को छोड़कर पुत्र-मित्र-कलत्र, धन-धान्य आदि सभी परिग्रहों को और सांसारिक भोग-विलास को छोड़ कर पाँचों इन्द्रियों को दमनकर, कठिन तप के द्वारा आठों कर्मों का नाशकर ज्ञानवीर होते हुए मोक्ष प्राप्त करने कौन आयेगा ? कोई नहीं । इसलिये साधारण लोग, आसान भक्ति-मार्ग को अपनाने लगे। इससे जैन धर्म की वृद्धि क्षीण होने लगी। हिन्दु धर्म की अभिवृद्धि नजर आने लगी। लेकिन भक्ति-मार्ग से ही जैन धर्म क्षीण हो गया हो, ऐसा समझना ठीक नहीं है। हिन्दु धर्म वालों ने जैन धर्म की अभिवृद्धि को रोकने के लिए कई तरीकों को अपनाया। धर्म के विपरीत बलात्कार आदि कई दुष्कृत्यों का उपयोग किया गया। इसके कई आधार है। इसके बारे में ज्यादा लिखना उचित नहीं है। इस तरह धर्म के माध्यम से आपस में जो लड़ाई हुई थी, वह ई. ७, ८, ६ वीं सदी की थी।
हिन्दु धर्म के अन्दर भी शैव-वैष्णवों की लड़ाई हुई थी , परन्तु जैनियों के साथ लड़ते समय दोनों मिल जाते थे। उन दोनों की लड़ाई पीछे की है। तेवारं नामक शैव ग्रन्थ में जिन-जिन मन्दिरों का जिक्र किया गया था, उन सभी स्थानों में जैन-बौद्धों का निवास स्थान मन्दिर, पाठशाला आदि थे। उन सबको छीनकर बदल दिया गया ।
जैन धर्म के लोग हर तरह से प्रताड़ित हुए थे। उन लोगों के साथ हिंसा करना, शूली पर चढ़ाना, कलह करना, धन-धान, घर-बार सबको छीन लेना आदि अत्याचार हुए थे। धर्म विद्वेष के कारण भयंकर हत्याकाण्ड हुआ था । इसका आधार उन लोगों के ही ग्रन्थ है। जैनों के कई घर, धर्मशाला, पाठशाला आदि छीनकर बड़े-बड़े तालाब बना दिये गये थे।
'तलैयै आगे अरुघदे करुमं कण्डाय' (शैव आलवार तिरुप्पाडल ग्रंथ)
जैनियों के सिर काटो, यही तुम्हारा कर्तव्य है। इसके उदाहरण के रूप में शैवों के पेरियपुराणं, तिरुविलैयाडर पुराणं आदि ग्रंथों में बतलाया गया है कि आठ हजार जैन साधुओं को शूली पर चढ़ाकर मारा गया था । दक्षिण मधुरा के शिव मन्दिर की दीवार पर इसका दृश्य उत्कीर्ण किया हुआ है। हर
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