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श्री तपगच्छ
इन्द्रियपराजय दिग्दर्शन, आत्मोन्नतिदिग्दर्शन, जैनतत्त्वज्ञानम्, देवद्रव्यसंबंधी मारा विचारों, प्रमाणपरिभाषा, अतिहासिक तीर्थमाळा संग्रह, अतिहासिक रास संग्रह -त्रणभाग ने देवकुलपाटक-निबंध, [ देलवाडानो इतिहास ] ए तेभना मुख्य पुस्तको छे.
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इटली, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लांड ने अमेरिकामां जैन साहित्यना अभ्यासीओ उत्पन्न कराव्यानी तेमनी सेवा मोटामां मोटी छे,
महावीरनुं तप एटले ज्ञाननी ऊंडी शोध, ए ज्ञाननी ऊंडी शोध माटे चोवासे तीर्थंकरोए महा तप कर्तुं हतुं ने महावीरे वधुमां वधु कष्ट भोगवी तेनी शोध करी हती. तेमणे जे ज्ञान गणधरो समक्ष मूक्युं, अने उपदेश आप्यो ते सुधर्मा स्वामी, वगेरेए जाळवी राख्यो ने ते साहित्य 'श्रुतसाहित्य' ने नामे ओळखायुं. परन्तु धीमे धीमे ते वीसराई जवा लग्युं, आथी पाटली पुत्र परिषद, माथुरी वांचना, वगेरे द्वारा ते याद हतुं तेटलं संकलित थयुं. श्री भद्रबाहु स्वामीए आगमो रच्या, ने क्रमशः श्रुतसाहित्य, आगम साहित्य वगैरे पर नियुक्तिओ वगेरे रचात्रा लाग्यं श्रुत साहित्य के आगम साहित्यनी प्राकृतमां ज रचना थयेली हती परन्तु धीमे धीमे संस्कृत साहित्यनो जैन साहित्यमां विकास थयो. उमास्वामिवाचक, पादलिप्तसूरि, अने न्यायशास्त्राना प्रस्थापक दार्शनिक तर्कप्रधान प्रतिभावान सिद्धसेनसूरिए श्रुत अने आगम साहित्यने विकसावामां मोटो फाळो आप्यो छे. श्री सिद्धसेनसूरिए तो आगळ वधी न्यायावतार तर्कप्रकरणनी संस्कृतमां रचना करीने जैन प्रमाणनो पायो नाखी न्याय युग शुरू कर्यो. तेमना पछी फरी स्मरणशक्तिमा शिथिलता आववा लागी ने श्रुत्त साहित्य प्रमाणां विसरावा लाग्यं आथी पांचमी शताब्दीमां देवर्द्धिगणीए वलभीपुर परिषद बोलावी श्रुत साहित्यने एकत्रित करी पुस्तकारूढ करें
युगप्रधान हरिभद्रसूरि ने कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्रे साहित्यने पुष्पित करवामां कचाश नथी राखी तेमना समयमा प्राकृत तथा संस्कृत भाषानो पण विकास थयो छे. त्यार पछी तपगच्छना आचार्योए तेमां उमेरो करवा अथाग परिश्रम सेव्यो छे. देवेन्द्रसूरि, श्री देवसुन्दरसूरि, श्री सोमसुन्दरसूरि, हीरविजयसूरि अने तेमना विद्वान शिष्य समुदाये एक या बीजी रीते जैन वाङमयने काव राखवामां, विकसाववामां अने नवा सर्जनमां ओछो फाळो आप्यो नथी. केटलीक वखत तो तेमना करतां तेमना शिष्यो पण चढी जाय तेम छे.
जैन मुनिओनुं विहार ए प्रचार माटेनुं प्रबल साधन छे. विहार करता करतां तेमनी उपदेशोनी हार वखते तेमना मुखमांथी केटलीक वखत सरस्वती ज वहे छे. ने जनता उपर तेमनी एटली असर थाय छे के तेओ मुनिराज पासे सर्वस्व बहोरावचा पण तैयार थाय छे. आधी
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