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________________ फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ ७३ तपस्वी ७१ योगनिष्ठ आ. श्रीबुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज ( अनुसंधान पानुं २० ) ७२ आ. श्रीअजितसागरसूरि आ. श्रीऋद्धिसागरसूरि पं. श्रीकीर्तिसागर नरेन्द्रसागर I ७४ राजेन्द्र सागर हेमेन्द्र सागर Jain Education International I भानु सागर I समता सागर ५७ श्री ऋद्धिविमल ५८ कीर्ति विमल वीरविमल महोदयविमल प्रमोदविमल मणिविमल उद्योतविमल दानविमल ६५ पं. श्रीदयाविमल सौभाग्यविमल 1 4. श्रीमुक्ति विमल 1 पं. श्रीमहेन्द्रविमल पं. रंगविमल पं. रविविमल बन कविमल पुण्यविमल मुनींद्रविमल हर्षविमल 1 ७० प्रेमविमल 1 लक्ष्मी हरख सागर सागर अनुसंधान पार्नु ७ ) अमृतविमल 1 पं. श्रीहिंमतविमल हंसविमल न्यायविमळ 1 मनहरविमल पद्मविमल कस्तुरविमल करुणा सागर For Private & Personal Use Only जितेन्द्र सागर शांतिविमल 1 [२१] जयसागर T महिमा सागर प्रेमविमल कल्याणविमल रस्नविमल 5 5 5 5 5 555555555555555555555555 95 95 95 95 95 95 ! 94 95 96 95 95 95 95 955555555555 S S S S S S S S S S S S S S S S S 95555555555555 15 www.jainelibrary.org
SR No.003643
Book TitleTapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantilal Chottalal Shah
PublisherJayantilal Chottalal Shah
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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