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________________ Jain Education International 5555555555555555555ऊऊऊऊऊऊ5555555555555555) ६७ श्रीमयासागरजी (अनुसंधान पार्नु .) गौतमसागर नेमसागर शवेरसागर रविसागर ७. शैलाना नरेश प्रतिबोधक आगमोद्धारक आ. श्रीसागरानंदसूरिजी सुखसागर भा. श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी (जुओ पार्नु २१) गणी For Private & Personal Use Only 2 3 4 4-- aap~ उ.माणिक्य पं.विजय पं. मति मोतीसागर पं. क्षमा क मा ज में चं हे झा गु च चं चि प सू म सू वि का चे अश्रु सामर सागर सागर सागर ल्या न य य म न ण तु दो दा म यो हे न्ति प 6 त रतन गणी ण सा सा ल सा सा सा सा र द नं सा द न्द्र न्द्र म सा क णो सा सागर सा ग ग सा ग ग ग ग सा य द ग य सा सा सा ग सा द ग ग र र म र र र र ग सा सा र सा ग ग ग र ग य र केसर जयंत मनहर र ग ग ग र र र र सा सागर सागर सागर अमरेन्द्र र र र । सामर सौभाग्यसागर ललित लोक्य संजम रमणिकसागर सागर सागर सामर देवेन्द्रसागर हीरसागर धर्मसागर सुबोध हंससामर सागर । चंदन बुद्धिसागर लब्धि प्रबोध जनक प्रवीणसागर सागर सागर सागर सागर महोदयसागर अभयसागर नरेन्द्रसामर मुनीन्द्रसागर क्षेकरसागर । । । । । । । । अमृतसागर, जितसागर मलय लक्ष्मी विनय चारित्र मृगांक गौतम कीर्ति धीर न्यायसागर दर्शनसागर | सागर सागर सागर सागर सागर सागर सागर सागर मुक्तिसागर देवसागर ७५ शान्तिसागर 555555555555555555555555555555555555 ७४ महिमासागर www.jainelibrary.org
SR No.003643
Book TitleTapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantilal Chottalal Shah
PublisherJayantilal Chottalal Shah
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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