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श्रमण वंशवृक्ष
आ महाप्रतापी, परम जैनधर्मी राजा खारवेल वीरनिर्वाण संवत् ३३० पछी स्वर्गे गयो. भिक्षुराज पछी तेनो पुत्र वक्रराय कलिंगनो राजा थयो. ते पण परम जैनधर्मी ज हतो. ते वीरनिर्वाण संवत् ३६२मां स्वर्गे गयो. तेनी पछी तेनो पुत्र विदुहराय कलिंगराज बन्यो. ते पण परम जैनधर्मी हतो अने जैन साधुओनो परम भक्त हतो. ते वीरनिर्वाण संवत् ३९५मा स्वर्गे गयो.
कालिकाचार्य आ नामना चार आचार्यो थया छे. तेमांधी अहीं तो गर्दभिल्लोच्छेदक अने संवत्सरी पांचमनी हती ते चोथनी करनार कालिकाचार्यनो संबंध जणा, छं. विशेष माटे इतिहासप्रेमी मुनिराज श्री कल्याणविजयजी लिखित "आर्यकालक'' जूओ.
कालिकाचार्य धारावास नगरना राजा वीरसिंहना पुत्र अने भरुचना राजा बलमित्र भानुमित्रना मामा थता हता. कालिकाचार्ये जैनाचार्य गुणाकरमूरिजीना उपदेशथी जैनी दीक्षा लीधी हती. तेमनी साये एमनी बहेन सरस्वतीए पण दीक्षा लीधी हती. दीक्षा लीधा पछी टुंक समयमां ज कालक कालिकाचार्य बने छे, अने विहार करता उज्जयिनी आवे छे. त्यां तेमनां बहेन सरस्वती पण साध्वीपणामां छे. तेमनु रूप अने लावण्य जोई ए ब्रह्मचारिणी साध्वीनु उज्जयिनीना गर्दभिल्लराजा बलात्कारे हरण करे छे. कालिकाचार्य तेने छोडाववा बधा प्रयत्न करे छे पण दुष्ट राजा नथी मानतो. अन्ते ए दुर्बुद्धि राजानी सान ठेकाणे लाववा कालिकाचार्य इरान देशमा ९६ खंडिया राजाओने एकत्र करी हिन्द उपर चढी आवे छे. अन्ते भीषण युद्ध थाय छे, गर्दभिल्ल मृत्यु पामे छे अने कालिकाचार्य पवित्र साध्वीने छोडावे छे. शक लोको टुंक मुदत उज्जयिनीनु राज्य भोगवे छे अने पछी बलमित्र-भानुमित्र त्यांना राजा बने छे.
बलमित्र-भानुमित्र आचार्य महाराजना उपदेशथी जैनधर्म स्वीकारे छे. राजाना आग्रहथी आचार्य महाराज भरुचमां (उज्जयिनी पण कहे छे) चतुर्मास रह्या छे, परन्तु मंत्रीनी खटपटथी त्यांथी विहार करी दक्षिणमा प्रतिष्ठानपुरमा रहे छे. त्यांनो राजा आचार्यता उपदेशथी आकर्षाई तेमनो भक्त बने छे अने भादरवा शुदि पांचमनुं वार्षिक पर्व राजानो अति आग्रहथी चतुर्थीला दिवसे करवानुं नक्की थाय छे. जे प्रथा अद्यावधि चाले छे. पंजाबमां भावडागच्छना स्थापक आ ज आचार्यवर्य छे.
कालिकाचार्य जब्बर युग-प्रवर्तक पुरुष थया छे. तेमणे राज्यक्रांति करवा साथे धर्मक्रांति पण करी बलमित्र-भानुमित्रने अने प्रतिष्ठानपुरना सातवाहनने तेम ज ईरानना शाखिओने प्रतिबोधी जैनधर्मनो उपदेश आयो हतो. तेओ वीरनिर्वाण संवत् ४६० लगभगमा स्वर्गे गया.२
१. हिमवंत थेरावलीना आधारे, लेखक मुनिराज श्री कल्याण विजयजीना लेखना आधारे. २. विशेष माटे प्रभावकचरित्र जुओ.
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