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भारतीय लिपिमाला-स्वर और व्यञ्जन
"तेत्तीस वेंजणाहं, सत्तावीसा सरा तहा भणिया । चत्तारिय जोगवहा, चउसट्ठी मूलवण्णाओ ॥"
-आचार्य नेमिचन्द्र, गोम्मटसार, १/३५२
तेंतीस व्यञ्जन, सत्ताईस स्वर और चार योगवाह चौंसठ मूल वर्ण हैं।
२७ स्वर
ह्रस्व स्वर जिनके उच्चारण में एक मात्रा-काल लगता है । अ इ उ ऋ ल ए ऐ ओ औ ।।
दीर्घ स्वर
जिनके उच्चारण में दो मात्रा-काल लगता है । आ ई ऊ ऋ ल ए ऐ ओ औ ।
प्लुत स्वर
जिनके उच्चारण में तीन मात्रा-काल लगता है । आ ई ऊ ऋ ल ऐ ऐ ओ औ ।
३३ व्यंजनाक्षर २५ पंचवर्गाक्षर
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प्राकृत भाषा की ब्राह्मी वर्णमाला में ३३ व्यञ्जन, २७ स्वर और ४ योगवाह मिलाकर ६४ मूल वर्ण होते हैं। संस्कृत भाषा की अक्षरमाला में ६३ मूलवर्ण होते हैं। उसमें 'ल' का प्रयोग नहीं होता, अवशिष्ट ३३ व्यंजन, २६ स्वर और ४ योगवाह होते हैं।
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