SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खारवेळ के राजत्व के पांचवें वर्ष तक कलिङ्ग को एक शक्तिशाली और विकासशील राष्ट के रूप में प्रतिष्ठा मिल चुकी थी। अप्रतिम संवृद्धि के कारण ही उन्होंने छठे वर्ष में राज-ऐश्वर्य की प्रदर्शनी का आयोजन किया था। प्राचीन भारतवर्ष की इतिहास में इस तरह की एक प्रदर्शनी का कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। राज्य भर में लाखों के राजस्व की छूट भी दी गयी थी। हाथीगुम्फा अभिलेखों में अनेकत्र मुद्रा का उल्लेख है। इससे, तब मुद्राओं का प्रचलन था, निश्चित रूप से कहा जा सकता है। ओड़िशा के बलांगीर जिले में सोनपुर, शुकतेल नदी के तटवर्ती लोकापड़ा, उदयगिरि-खण्डगिरि के समीपवर्ती जाग्मरा, झारपदा, कटक में सालिपुर, गंजाम में जउगड़, केंन्दुझर में सीतावीजी, और कालाहांड़ी के असुरगड़ से अनेक पंच मार्कड़ रौप्य मुद्राएं मिली है। प्रत्नातात्विक भूखनन से भुवनेश्वर के समीप शिशुपालगड़ से भी इसी तरह की पंच-मार्कड़ [Punch Marked] मुद्राएं प्राप्त हुई हैं। इन मुद्राओं का प्रचलन प्रागमौर्य काल से इ.पांचवी सदी तक था। इन मुद्राओं के आकार, प्रकार और उन पर के लांछनों के आधार पर विद्वानों का यही मत है। खारवेळ के समसामयिक राजा सातकर्णी और वृहस्पति मित्र के नाम उनके द्वारा प्रचलित मुद्राओं में अंकित है। पर ओड़िशा से प्राप्त किसी भी मुद्रापर खारवेळ का नामांकन हुआ नहीं है। यह उल्लेखनीय है ई.पू. पहली सदी के पूर्ववर्ती किसी भी राजाने अपने द्वारा प्रचलित मुद्राओं पर अपने नामों को अंकित किया नहीं था, संभवतः इसी प्राचीन परंपरा के विचार से खारवेळ ने भी अपनी मुद्राओं पर अपना नामांकन नहीं करवाया था। उस समय कलिंग में जन-जीवन का स्तर अति उन्नत था। हाथीगुम्फा के निचले खण्ड़ पर बनी कलिंगनगरी के सांकेतिक चित्र से लगता है, राजधानी में नागरिकों की सुंदर सुंदर अट्टालिकाएं थीं, दो मंजिले प्रासाद भी थे, प्रासादों के ऊपर मर्दलाकार छत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003640
Book TitleKharvel
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadanand Agarwal, Shrinivas Udagata
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year1993
Total Pages136
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy