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________________ में द्वितीय महिषी का पाणिग्रहण किया था, उसका कोई अभिलेखीय विवरण नहीं मिलता। परन्तु राणीगुम्फा की ऊपरी सतह पर उत्कीर्णित चित्रों के मनन के आधार पर प्रख्यात इतिहासकार स्वर्गीय नवीन कुमार साहू के द्वारा प्रदत्त विवरण कुछ इस प्रकार है : (चित्र क्र.२) . एक बार सपरिवार सिंहपथ के राजा वन-विहार करके अंत में स्नान के लिए किसी पद्म सरोवर को आए। वह सरोवर अरण्य के बीचोंबीच था। पहले ही से उस सरोवर में एक विशालकाय सुदंत हाथी कुद्देक हस्तिनियों के साथ उन्मुक्त क्रीडाएं कर रहा था। राजाने उस हस्तीदल को भगाने का प्रयास किया तो हाथी क्रुद्ध हो उन पर आक्रमण करने को निकल आया। राजा ने साहससे उसका मुकाबला किया और दोनों दलों के बीच लड़ाई छिड़ गयी। उस समय राजकन्या ने अपने प्राण की परवाह न करके हाथी के आगे आकर उसपर अपने अंगाभरणों से प्रहार किया तो घायल होकर हाथी पीछे हटने लगा। पर तब तक राजा काफी घायल हो चुके थे। राजकन्या, उन्हें उपचार के लिये समीपस्थ एक गुफा के अंदर ले आयी। ___ हाथियों के साथ संघर्ष के समय राजदल की कुछ महिलाएं भयभीत हो भाग निकलीं। अनुमान है कि उन महिलाओं में राजा की कोई दासी किसी प्रभावशाली व्यक्ति की गुप्तचरी के रूपमें काम करती थी। उस प्रभावशाली व्यक्ति का राजकन्या को प्राप्त करने की गुप्त अभिलाषा थी और अंत:पुर की वही परिचारिका उस इच्छा-पूर्ति की सहकारिणी थी। वह लंपट पुरुष, राजा की दुस्थिति के समाचार उस गुप्तचरी से पाकर चहेती राजकन्या को पाने की लालसा से अस्थिर हो उठा। वह उसे राह बता कर गुंफा तक ले आयी। वहां उसने राजा को आहत और असहाय अवस्था में देख कर उनकी हत्या करदी और राजकन्या के प्रति बल का प्रयोग करने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003640
Book TitleKharvel
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadanand Agarwal, Shrinivas Udagata
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year1993
Total Pages136
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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