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इतवार के संध्या वख्त या उनके बाद मीलावट डाला हो उनका काळ इतवारका सूर्यास्तसें गिनलेना याने इतवार के रातका चार प्रहर और सोमवार की अहोरात्रका आठ प्रहर मीलके वारा प्रहरका काळ समजना । अर्थात् दहिं तैयार कीये बाद दोरातका काळ मान समझना [ मीलावट चाहिए उस वरूत डाला जाय । लेकीन सामान्यतः दूध नीकालनेका प्रसिद्ध वख्तसे दूध के अंदर के तत्त्वों दहिं बनाने की क्रिया तर्फ गति कर रहे होते हैं । बराबर दूध नीकालने पीछेसे हि कालकी गीती कहनी बराबर है ]
वर्णादि पलट न जावे तो दूध चार प्रहरतक भक्ष्य है, दरम्यान मीलाना चाहिए, और सामको चाहिए उसी वख्त दूध नीकाला हुआ हो, उसमें रातको बारा बजे - मध्य रात्रि पहिले मीलावट डाल देना चाहिए ।
दहिं बाजार में से नहि लेते हि अपने घरपे बनाना वो उत्तम है, सबकी - उन्होका बरतन बहूधा शुद्ध नहि रहते, खुल्ला बीगर ढांका रहते है. बासी दूधका या मिश्र कीया हूआ दूधका या संचेके दूधका बनाते है, काल मान कमज्यादा कहे, ही पोहे पकाके दूध के साथ मिश्र कर मीलाके दहि बनाते हैं। कीतनेक वख्त मरा हुवा जीव भी दहिंसेंस नीकला हुआ मालुम होता है । वगैरह अनेक दोषके सबसे घरपे बनाके वापरना युक्त दीखता है ।
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