________________
जरूरी है । लेकीन आरोग्य दृष्टिसे भी जहां तक बने वहांतक खट्टे पदार्थका उपयोग कम रखना फायदाकारक है । खटा रस पाचक हैं. तथापि स्थंभक होनेसें जींदगी तक खाया हुआ . खट्टारसका परिणाम वृद्धावस्था में बहुत असरकारक मालूम होता है । सामान्यतः आंबले, और दाडम शिवाय हरेक खट्टी चीजें गरम है। सुफेद कोकम, नीबूं यह चीज तीव्र खटापनवाले पदार्थ दाल, शाक में डालना ठीक नहिं है। काला कोकमकी खटाइ माफक है। वास्ते वो ठीक है। खटा रस स्वाद देते है। पाचन में भी अच्छी मदद करता है। लेकीन खोराक के साथ स्वयंभी पचकर शरीर में घरकार रहता है। और बाद एक स्वरूप में या दूसरे कोई रूपमें शरीरको नुकसान कीया करता है । बो वृद्धावस्था में मालूम होता है ] 'एल्युमेनीयम' के बरतनो पकाने खाने और तैल बीगर की चीजे रखने के लीए नुकशानकारक मालूम होता है।
१७ ओदन (भात )-पकाया हुआ चांवल * छाछ में रखा हुआ हो, उनका काल आठ प्रहर तक है। उतना कालचांवल सांजको पकाया हो, और छाछ छांटी हुई हो, उनका समझना । परंतु द्विप्रहर में पकाया हुवा चांवल जो छाछ
* छांछ में बुड होना चाहिए, छांछ में नयापानी मीलाया हुआ नहोना चाहिये. तीन दिनका ओदन नहि लेनेका अतिचार सूत्रमें कहा है। वो सीर्फ जाडी छांछसे पका हुआ अनाज समझना.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org