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हुआ आटा खाना यह प्रजा का कमनसीब है। इसमें से सच्च का नाश होजाता है ।
विटामीन की चर्चा करने वाला जमाना मसीनका आटा नहीं छोड़ सकता है । गाँवडे के मजदूर, कीशान भी अपने सिर पर बोजा उठा के लाते हैं और उसे पिसवा कर ले जाते हैं। बाजरी का आटा गेहूँ, चने की अपेक्षा से बहुत शीघ्र खराब हो जाता है । इसका ध्यान रखना चाहिये ।
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विना कारण आटा अधिक न पिसवाना चाहिये । और बाझार से भी आटा खरीदना नहीं । कारण यह है कि - व्यापारी के पास बहुत दिन का पुराना माल रहता है, और वे सड़ा हुआ हलका माल विना साफ कीये भी पिसा लेते हैं । क्यों कि उनको व्यापार करना है । इससे वे जैसा ही करते हैं। जीससे अपने घर अच्छा माल मंगवाकर देख साफ कर उपयोगपूर्वक पिसना और पिसवाना और छानकर उपयोग में लेना ।
गेहूँ आदि में कितने वक्त बहुत छोटे छोटे छेद होते हैं । उसमें धरिये आदि अनेक जीवों की उत्पत्ति होती है वे जीव बहुत छोटे छोटे होते हैं इससे वे एकाएक निकल नहीं सकते । परन्तु जब बड़े होजाते हैं तब उस दाने में से कहीं निकल सकते नहि । इससे उन दानों को चुन कर उनको उपर्युक्त जगह में रखदेना चाहिये [ या जीवातके खाने में भेजदेना चाहिये । ] परन्तु कितनेक व्यक्ति उनमें सिर्फ छेद है, एसा समजकर वैसे ही पिसवाने को दे देते हैं। यह दुक्ख की
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