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झूठा हाथका स्पर्श करने से पंचेंद्रिय समूर्छिम मनुष्य की उत्पत्ति होती है। हरे तीखे (मरीय) जो मलबार से निमक के पानी में शामिल होकर आते है वो बोलका आचार है। वास्ते अवश्य त्याग करना चाहिये।
अन्य दर्शनीयों के शास्त्र में भी बोल का अचार नरकके द्वार गीना है। इस लिये हमेशके लिए त्याग करना जरूरी है।
जिस फल में खटाइ हो वो अथवा उपर बताई हुई चीजें शामिल हो, वो अचार, तीन दिन के बाद अभक्ष्य गिनने में आता है। परन्तु केरी, नींबू वगैरा में नहीं मिले हुवे गुवार, गुंदा, डाला, खरबूच, मिर्ची वगैरा का अचार जिनमें खटाई न हो, वो एक रात्रि व्यतीत होने के बाद दुसरे दिन अभक्ष्य हो जाता है।
केरी और नीबूं की साथ मिला हुवा हो, तो तीन दिन खाने में आसकता है।
लेकिन उसमें भूजी हुई मेथी डाली हो, तो बाशी रहने से दुसरे दिनही अभक्ष्य होजाता है. सबब मेथी धान्य है। मेथी, चनेकी दाळ या आटा मिलाया हुवा हो, तो उसी रोज हि काममें आ सकता है।
और जिस अचार में मेथी डाली हुई हो वो द्विदळ होने से कच्चे गोरस-दुध और दहींके साथ नहीं खाना चाहिये।
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