________________
केरी, गुंदे, खारीक, मिर्ची वगैरह का अचार सुकाया ‘जाता है. मगर उनको गर्मी बराबर नहीं लगे, और गीला रह जाय, तो तीन दिन के बाद अभक्ष्य हो जाता है। इस लिये तीन दिन तक बराबर सुखाना चाहिये, ऐसा नियम नहीं. इस तरह सुखाने के बाद राई, गुड और तेल मिलावे। ऐसा अचार वर्ण गंध, रस, स्पर्श, फिरे नहीं, वहां तक खाने के काम में आ सकता है। परन्तु तेल कम हो, तो जल्दी से बिगड़ कर अभक्ष्य हो जाता है। __ वास्ते इस मुताबिक उपयोग पूर्वक बनाये हुवे अचार के पिछे भी बहुत ख्याल रखना पड़ता है।
(१) अचार की बरनीयों अच्छे गरम पानी से साफ करके फिर उनमें अचार भरना चाहिये।
(२) उन बरनीयों के उपर मजबुत ढंकन लगाकर कपड़े से बांध देना चाहिये, जिससे उसमें हवा नहीं जा सके. नहीं तो वर्षाऋतु में हवा लगके लील-फुग हो जाती है. जिससे अभक्ष्य हो जाता है.
(३) अचार, नोकर-चाकर व बालबच्यों के पास नहीं निकलवाना चाहिये. उपयोगवंत मनुष्य खुद हाथ को स्वच्छ करके चमचा या दुसरे किसी साधन से निकालना चाहिये. मगर बने वहां तक हाथ से नहीं निकालना चाहिये।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org