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________________ २८ लगाता है जोरदार शास्त्रसिद्ध गिनी जानेवाली दवाईयां बनती है. अच्छे डाक्टर और वैद्य तेज दवाईयां क्वचित् देते है. कभी देते, तो वक्त लेने को इन्कार करते है. और जहां तक बन सके, एसी दवा नहीं भी देते है. फिर जरूरत के मुताबिक खास आत्यमिक कारणों में ही देते है । लेकिन अंग्रेजी दवाईयां और उस में खास पुरान ( Injection ) इन्जक्शन जहर वाला होता है. इतना ही नहीं लेकिन होमियोपेथिक जैसी बार क्षार वालि और दुसरी औषधियां ज़हर से मिली हुई रहती है. जैसे ऐलीया जैसी दवाईयां को (Sugar of milk) शुगर ऑफ मिल्क में घोट घोट कर इतनी बारीक कर देते है जैसे ज्यादा दुध का शक्कर में जहर का भी बहुत ही बारीक बनकर शरीर में एकदम फेल जाते है, ओर छोटी से छोटी तत्वो में मिलकर असर करते हुवे बनावटी चाल देकर रोग को दबा देते है । पीछे से अपना ज़हरीम पन बताये बिना नही रहता. कितनीक दवाईयां इन्द्रियों को तेज बनाकर दर्द नही होने देती है. लेकीन इनके उपर से बिचार कीया जाय की रोग का नाश हो गया में यह बात मानने में नही आ सकती. देशी वैयो में से कितनेक हिमगर्भ की गोली को एक दो मरतबा घिस कर मरते हुवे आदमी को पिला कर बातचीत करवा देते है. उसका कारण बीमार की मृत्यु की तै पारी होती : है, तथापि यह दवाईयां अपना जोर बता का स्वबा देती है. या बातचीत करने पूरता बीमार को अच्छा करती है. लेकिन इसकी शक्ति हउ जाने पर मरने जैसा हो जाता है. और कुच्छ जल्दी मृत्यु को प्रात: कर लेता है. वो दवा देने वाले कहते है कि - " अब जल्दी मृत्यु होगी, Jain Education International For Private & Personal Use Only · www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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