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________________ जाता है। त्यों २ वह ज्यादा २ आक्रमण करने लगता है। अखीर में बीमार को खुद की कुदरती उम्र से जल्दि मरने का कारण आजाता है। उस में जहरीली औषधी जहर की तरह असर कर जाती है. जिनकी मनुष्य को मालुम नही होती कि मेरे खुद की कितनी उम्र थी? और जहरने कितनी कम की? वो यह समझता है, कि-मेरी मृत्यू कुदरती हुई. परन्तु सच्चे रूप से देखा जाय तो जहरने ही उसकी उम्र कम की है. याने जहर तो जहर ही रहता है. ज्यादा खूबी तो यह होती है कि चाहे जैसे रोग में बिमार को चालु खुराक पर रखकर आराम करने वाले डाक्टर और वैद्य ऐसी असर कारक दवा देते ह कि उससे बिमार को फोरन फायदा पहुंचता है क्योंकि ज़हर व जड़ा बूंटी से मिली हुई दवाइयां ऐसी असर बतलाकर दिमाग, हृदय, और शरीर की धातुऐं वगैरा रक्षा करने वाले तत्वों की मदद लेकर बीमारी को साफ कर देती है. जिस से बीमार फोरन आराम हो जाता है. लेकीन सच्चे रूप से बीमारी जड़ मूल से नेस नाबूद नहीं हो सकती. बल्की बिमारी शरीर के अन्दर के तत्त्वों में विभक्त हो जाती है. और औषधी के जहर से शरीर स्वस्थ मालूम होता है। जब दवा का असर कम हो जाता है तब फिर इस तरह दवा लेने पर पहिले ग्रहण की हुई दवा असर नही करती. वास्ते उससे ज्यादा जहरीली असर वालि दवा देने में आती है. जससे उसका अच्छा परिणाम मालूम होता है। ऐसे लगाता ह जोरदार औषधी के जोर से बहुत से बहुत से बीमार मृत्यू से बचे रहते है. मगर जहर का असर इकट्ठा होने से बीमार की आयुष्य पर बड़ा भारी असर पड़ता है। और देशी विदेशी वैद्यक में ऐसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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