SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६ कितनेक विद्वान समझदार वैद्य डाक्टर का मत है कि-"अखीर में इनका परिणाम (भयंकर ) नुकशानदायक होजाता है. यह पदार्थ ज़हरी है. इसी लिये इनका जहर असर किये बिना नही रहता.” परन्तु बहुत से मनुष्य इस प्रकार का प्रश्न करते है कि-इनमें दुसरी चीजों का पट देकर उनका ज़हरी असर नेस नाबूद करने में आती है, इसी लिये वो जहर असर कैसे कर सके ? उनके जवाब में कहते है कि-"वनस्पतिया का पट जहर को जड़ से नहीं मिटा सकता. परन्तु उनको छीपा दे देता है. जहर हमेशां जल्दी से जल्दी फिरने के स्वभाव वाले होता है, एकदम खून में मिलकर फेल जाता है. साथ ही साथ इन में वनस्पतियों के पट का असर जल्दी होता है. इसी लिये वो उन वक्त तो नुकशान नहीं करता। वनस्पति वगेरे दवाईयों का गुण शरीर में जल्दी फैलाकर अच्छा बना देता है. मगर कुछ दिन के बाद वनस्पतिका पट को शरीर में रही हुई सात धातुऐं पचा लेती है. फिर शेष रहा हुआ जहरका असर एकदम फेल जाता है. व हृदय के अन्दर जाकर उनको कमजोर करता है, फिर उस कमजोरी के कारण दुसरे नये रोग उत्पन्न होने का मौका देता है. जिसीकी बिमारी को मालूम नहीं होती और सारी उम्र तक खाये हुवे अनेक प्रकार के जहर का असर शरीर में इकठा होने से वृद्धावस्था में जल्दि मृत्यू ले आती है. जहरीली औषधी कि सहायता को मेंणे की चौकी कहते है. जैसे गांव में चौकी करता है, और जंगल में मनुष्य अकेले फिरे तो वोही लूट मार करता है। इसी तरह शरीर में खून वगैरा धातुओं का जोर बराबर हो, उस वक्त तक शरीर को शक्ति शालि रखता है. लेकिन ज्यों २ खून कम होता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy