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में नरकादि नीच योनियां में भ्रमण करना पड़ता है. इसीलिये जहर व्यसन व आपघात करने में नहीं खानी चाहिये और इनका व्यापार भी नही करना चाहिये.अगर राज्य कर्ता ज़हर के व्यापार करने की इजाजत मर्यादित उपयोगके लिये देवें तो ठीक है. सर्वज्ञ भगवंतोने पन्द्रह कर्मादान छोड़ने में जहरका व्यापार करनेका इन्कार फरमाया है. क्योकि उसके व्यापार से बहुतसे बुरे काम होते है. माताएं अपने बच्चों को अफीयन को छोटीर गौलीयां बनाकर देती है. लेकिन उस व्यसन से फायदा नहीं होता. बल्कि उलटा नुकसाक होता है. [ थोड़े समय के लिये ही बच्चे को स्फूरतीप्रद होती है. और बिमारीयां उनके अन्दर अपना घर बना लेती है. उनकी माताएं इस बात का ख्याल नहीं रखती. कदाचित-किसी समय भूलसे गौलीयां मुकाम सर न रख्खी गई हो, और वच्चे के हाथ लग जाय व ज्यादा खा लेवे, तो उसकी मृत्यू हो जाती है. इसीलिये समजने वाली माताओं को ऐसी जहरीली चीजें न मंगाना चाहिये.x
X सोमल: पाराः गन्धकः वच्छनागः जहरकोचलाः धत्तुराः अफीयूनः क्वीनाईनः आदि झेरी चीजें औषधि के काम में लाई जाती है. वो औषवियें ताकात देने बालि व फायदा करने बालि होती है. और जल्दी रोगो का नाश करके फायदा पहुंचाती है. इससे सामान्य दवाईयां बेचनेवाले वैद्य डाक्टर भीजल्दी प्रसिद्धि को प्राप्त कर लेता है. साथ २ उनकी इज्जत व धन की प्राप्ति भी अच्छी होती है. लेकिन
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