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से बनता है उसी मुताबिक खून भी जम जाता है. फिर उस जमे हुवे खून का हृदय में प्रचार होने से शरीर को कमजोर बनाता है. इसके साथ २ दुसरे रोगो को भी निमन्त्रित करता है। एसी मतलब है।"
११ विष-[जहर चार प्रकार का होता है. खनीज़ः प्राणिजः वनस्पतिज़ और मिश्रणजः सोमलः हड़ताल आदि खनिज है. और सांप बिच्छु वगेरे का प्राणिज है. बच्छ नागः अफीयूनः धतुराः आकड़ा आदि वनस्पतिज है, मध और घीरत बराबर मिलाने से वो भी विष बन जाता है, और मिश्रणज कहलाता है. ]-अफीयून, सोमल, वच्छनाग, हड़ताळ मीठा तेलीया, संखया आदि प्रमुख चीजे अभक्ष्य है. सबबउस जहर खाने से पेट के कीड़े आदि जीवों का नाश होता है. और शरीर कमजोर होजाता है, व पराधीन बनजाता है। वास्ते जहरी वस्तुएं ताकात और शोख के लिये नही खाना चाहिये, औषध के लिये काम मे ला सक्ते है. [मगर यह भी ठीक नही ]. देखो व्यसनी (आदत वाले) मनुष्य का क्या क्या हाल होता है. यानी समय पर अफीयून नही मिले तो आत्मा में बेचेनता और क्रोध बढजाता है. और उस चीज खाने वाला जहां मल मूत्र करता है, उस जगह पर (त्रस स्थावर) छोटे बड़े जीवों का विनाश होता है. और यह वस्तुएं खाकर आपघात करने से दुसरे जन्म
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