________________
की तमाम हलचल एक व्यवस्ति सुचारू रूपसे बड़े जोर से चलती थी। यह अच्छा हुवा कि-उस में अपने मुनि महाराजाओंने चाहे जितने टीका टिप्पणी होते हुए भी सहयोग न दिया। नहीं तो भविष्यमां होनेवाला विलायती शराब के कायमी खूब प्रचार में आज अपनी सम्मति गिनाई जाती। देश के नेता ओंने देशी शराब को बंद कराने में पूर्णतया अनुमति दे दीथी। शराब को रोकने वाले देशनेता ताजी ताडी पीते हैं और शराब के बदले उस की जरूरत का दाखला विठलाता था । कितना आश्चर्य ? अबकहां गई देश नेताओं की लगन ? क्या कोई पेकेटिंग करता नहीं है? । परंतु यह सब बनावटी था। अपने को तो स्वाभाविक रीति से ही सब तरेह शराब छोडने का उपदेश समान भाव से देना चाहिये।]
८ मांस-अनेक जीवों को मार कर तैयार होता है। . ३ जैसे आयुर्वेद के बनाने वाले ब्राह्म विद्वानोंने अनार्यों के लिए अक्षम्य औषधि, चरबी, तेल वगैरह बताइ हैं। वैसे ही युनानी हकीमोंने दवाइयों में मांस, अण्डे और मछली वगेरह अभक्ष्य पदार्थों का उपयोग सहज ही बताये है। इस लिये हरेक दवा लेते हुए आर्य धर्म का विचार रखना चाहिए। [ आयुर्वेद प्रायः वनस्पति को मुख्य मानता है। युनानी वैद्य (हकीम) प्राणी जन्य औषधियें मुयतया काम में लाते हैं। विलायती दवाओं में प्राणिजन्य औषधे, प्राणिजन्य विष, खनिज विष तथा वनस्पिति विष, और केफी तत्त्व-स्प्रीट
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org