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गुंदर-झाड परसें ताजा नीकालने बाद दो घडीसें अचित्त ।
सुके अंजीर-अचित्त नहि होता है, जीसे सर्वथा त्याग करना।
सकरका पानी, राखका पानी-दो घडी बाद अचित्त होवे । गरम (उकाळेला) पानी न मीले तो वैसा अचित्त करके वापर सकते है।
त्रिफळेके चूर्णका पानी-दो घडी बाद अचित्त होने के बाद भी दो घडी तक रहता है।
अनाजके धोनेका पानी-दो घडी तक अचित्त रहता है।
फलके धोनेका पानी-एक प्रहर तक भी अचित्त रहता है। सामान्य धोवनके पानी-दो घडी अचित्त रहता है।
) गरम ऋतुमें ५ प्रहर। तीन उभरासें गरम कीया पानी शित ऋतुमें ४ प्रहर ।
वर्षा ऋतुमें ३ प्रहर । पीछे वापरनेके लीए रखना हो, तो कली चूना डालके हीलानेस शित ऋतुमें वापरनेके काममें ८ प्रहर तक अचित्त रहता है। ____ पालीतानेकी तळेटी पर और वरघोडा वगैरह अवसरोपे रखाहुआ सक्करका पानी पीपमेंसें सब एकही प्याला डुबाके पानी पीते है। उनमें एक दूसरोंका जुठा प्याले में मुंहकी लाळके सबब समुच्छिम पञ्चेन्द्रिय मनुष्यों होते है। और उनकी हिंसा होती
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