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________________ १५६ भी वापरने योग्य नहीं है । पक्के खडबुच, सकरटेटी - जीतने बीज हो वो सब खात्री पूर्वक नीकालने बाद दो घडी पीछे अचित्त होता है । काकडी - बीज अलग नहि पड सकतें । पकानेसें शाक वगैरह अचित्त होता है । केरी-याने आमका रस-गुटलीसें अलग होने बाद -दो घडी अचित्त होता है । नरीयल - बीज नीकालने बाद पानी और कोपरा अचित्त होता है। पक्की इमली, छुहारा, खजुर-बीज नीकालने बाद दो घडी अचित्त होता है । सुपारी [कच्ची] - तोडने बाद दो घडीसें अचित्त होती है । बदाम - अखरोट - बीज नीकालने बाद दो घडीसें यादूर देशांतरसे आया हुआ हो, तो अचित्त होनेका संभव है । नजीक के देशमें हुआ हो, तो अचित्त होनेका संभव है । पीस्ते, जायफल - उपर के छीलटेमें से नीकालने बाद दो घडीसें पीछे अचित्त होता है । लाल-काली - द्राक्ष - बीज नीकालने बाद दो घडीसें अचित्त होती है । जरदालु - बीज नीकालने बाद दोघडीसें अचित्त होती हैं। उनकी बदाम- बीज नीकालने बाद दो घडीसें अचित्त होती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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