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________________ Re और सामाजिक कानूनो एवं नियमोंसे स्वतंत्र रहना इच्छने बालों पर प्रतिवर्ष धारासभाकी बैठकोमें नये नये कानूनों के ढगले डाले जाते है । और गुलामीके भावि कारागृहे उत्पन्न होते है । वो भी इस जमानेका हि विलास है । शहर के आलीशान मंजिलोंकी खोलीओं में सिकुडकर -पडा रहनेका भी आरोग्यशास्त्र इस जमाने की ही भेट है । लेकीन आज यह बात ख्याल में नहि आवेगी । बन्धुओ ! अपना भला किसीमें है ? वो शोचो, और परमज्ञानीयों के पवित्र सुमार्ग में स्थिर रहकर अपना भला प्राप्त करो। ] ५८ पानी - इस कलिकालमें बडे बडे केइ शहरोंमें, स्टेशनोंपे पानीके नळ - मशीन - बडी बडी टांकीआं वगैरह बहुत वन गये है । जीसे मुसाफरी वख्त, और हवा लेनेको फीरते वख्त, अगर रास्तेपें कहीं भी प्यास लग जाय, उसी वख्त बीना छाना पानी पीया जाता है । वो बील्कुल अनाचरणीय है । बीना छाना हुआ पानी शास्त्रकारोंने दारु मुताबीक फरमाया है । इसलिए पानीमें मजबूत जाडे कपडेसें बराबर छानके काममें लेना । और पानीके बरतनमें जुठा ग्लास - जीनकी मुंहकी लाळ लगी हो, वैसे बरतन डुबानेसें असंख्य समुर्छिम जीवों पैदा होतें है । ऐसा न बनने पावे इसीलीए एक अलायदा लोटा लेके उनके गलेमें मजबूत लोखंडका जाडा तार लगाके तैयार रखना। जीस वख्त पानी लेनेकी जरुर पड़े उसी बख्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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