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________________ २५ पापड़ के लोये, बड़े, पोरन पोली-उड़द, चना, मॅग आदि के पापड़ के लोये, तथा मँग, उडद आदि की दाल के बड़े, और पोरन पोली [दाल बाँटकर रोटीमें भरकर बनाई जाती है] सुबह में बनाई हो, तो श्याम तक काममें आ सकती है । ये सब चीजें रातमें रखने से अभक्ष्य हो जाती हैं। २६ जुगलीराब (जीराराब)-छाछ में जुवार का आटा मिलाकर रांधते हैं। यह सुबह की बनी हुई श्याम तक काममें आ सकती है । बाद में अभक्ष्य हो जाती है। और जिस छाछ में अनाज जादह मिलाकर बनाया जाता है, उसको फंस कहते हैं। वो आठ ८ घंटे वाद अभक्ष्य हो जाती है। अर्थात् जीराराबका समय १२ प्रहर तथा घेसका ८ प्रहरका।] २७ रायता:-केला, दाख, खारक आदि लोंजी का काल १६ प्रहर का है । परन्तु उसमें कोई भी भाँति अन्नका मिश्रण न होना चाहिये । रायते में यदि भजिये, सेव, गाँठिये आदि डालना हो तो पहले दहीं अथवा छांछ को खूब गरम कर के फिर उसमें डालना चाहिये। ये रायता सायंकाल तक खाने योग्य है । बादमें अभक्ष्य हो जाता है। दहीको गरम कियाबिना बनाया हुवा रायता कठोळकी साथ न खाने की संमाल रखनी चाहिये. २७ सेका हुआ अनाज-शृंगड़ा, धानी, परमल पहुवे, आदि सेके हुए अनाज हैं। इसका काल कड़ा विगई प्रमाण है। चोमासे में उत्कृष्ट १५ दिन, सियालेमें १ महा, तथा उन्हाले में २० दिन है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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