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प्रभास
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चैत्यवन्दन मेतार्य गणधर नु चैत्यवंदन (8) परभवनो संदेह छे, मेतार्य चित्ते, . भाखे प्रभु तव तेहने, दाखी बहु जुगते...१... विज्ञानघन पद तणो, अम अर्थ विचारे, परलोके गमनागमे, मन निश्चय धारे...२... पूर्वारथ बहुपरे कहीओ, छेद्यो संशय तास, ज्ञानविमल प्रभु वीरने, चरणे थयो ते दास...३...
प्रभास गणधर नु चैत्यवन्दन (१०) अकादशम प्रभास नाम, संशय मन धारे, भव निर्वाण लहे नहि, जीव इणे संसारे...१.. अग्निहोत्र नित्ये करे, अजरामर पामे, वेद अरथ इम दाखवे, तस संशय वामे...२... वीरचरणनो रागीयो, तेह थयो ततकाल, ज्ञानविमल जिनचरणनी, आण वहे निज भाल...३...
गणधरो नु साधारण चैत्यवंदन (११) अह गणधर, अह गणधर, थया अग्यार...१. वीर जिनेसर पयकमले, रही भृगपरे जेह लीणा, संशय टाली आपणा, थया जिनमत प्रवीणा...२... इंद्र महोत्सव तिहां करे, वास क्षेप करे वीर, लब्धि सिद्धिदायक होजो, ज्ञानविमल गुण धीर...३...
सर्व गणधरोनु सामान्य चैत्यवंदन (१२) . सयल गणधर, सयल गणधर, जेह जग सार...१...
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