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पर्वमाला
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सकल जिनेसर पयकमले रही,भगपरे जेह लीणा, जिन मुखथी त्रिपदी लही, थया स्याद्वादे प्रवीणा...२... वास क्षेप जिनवर करे अ, इंद्र महोत्सव सार, उदय अधिक दिन दिन हुवे, ज्ञानविमल गुणधार...३...
विविध तपोना चैत्यवंदनो रोहिणी तप नु चैत्यवन्दन
रोहिणी तप आराधीओ, श्री श्री वासुपूज्य, दुःख दोहग दूरे टळे, पूजक होये पूज्य...१... पहेलां कीजे वास पूजा, प्रह उठी प्रेमें, मध्याह्न पहेरी धोतोआ, मन वच काय खेमे... अष्ट प्रकारनी विरचिओ, पूजा नृत्य वाजिंत्र, भावे भावना भाविओ, कीजे जन्म पवित्र...३... संध्या समे दीप आरति, प्रभु आगळ कीजे, जिनवर केरी भक्तिशृं, अविचल सुख लीजे...४... जिनवर पूजा जिन स्तवन, जिननो कीजे जाप, जिनवर पदने ध्याइओ, जिम नावे संताप...५... कोड कोड फल लीजीओ, उत्तर उत्तर भेद, मान कहे इणविध करो, जिम होवे भवनो छेद...६
[२] वासव पूजित वासुपूज्य, वर अतिशय धारी, केवल कमलानाथ साथ, अविरति जेणे वारी.. परमातम परमेसरू मे, भविजन नयनानंद, शान्त दान्त उत्तम गुणी, बर ज्ञान दिणंद...२...
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