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________________ पर्वमाला ... पंच सया परिवारशुं, लीओ संयम भार, वरस पचास गृहे वस्या, त्रीस वरस व्रत धार... बारवरस केवल वर्याओ, बाणं वरस सवि आय, नय कहे गौतम नामथी, नित नित नवनिधिथाय... ३. [ ५ ] जीव केरो जीव केरो, अछे मनमांही...१... संशय वेद पदे करी, कही अर्थ अभिमान वार्यो, श्री महावीर सेवा करी, गृहि संयम आप तार्यो...२... त्रिपदी पामी गुथिया, पूरव चउद उदार, नय कहे तेहना नामथी, होवे जय जयकार...३... D गणधरोना चैत्यवंदनो Jain Education International [ ७५ ] अग्नि भूति गणधरनु चैत्यवन्दन ( १ ) कर्म तणो संशय धरी, जिन चरणे आवे, अग्निभूति नामे करी, तव ते बोलावे...१... ओक सुखी ओक छे दुःखी, ओक किंकर स्वामी, पुरुषोत्तम ओके करी, किम शक्ति पामी...२... कर्मतणा परभावथी ओ, सकल जगत मंडाण, ज्ञानविमलथी जाणीये, वेद अरथ सुप्रमाण...३... वायुभूति गणधर नुं चैत्यवन्दन ( २ ) वायुभूति त्रीजो कह्यो, तस संशय छे अह, जीव शरीर बेहु एक छे, पण भिन्न न देह...१... गौतम स्वामी नी साथे लेवा बाकीना गणधर चैत्यवंदन अहीं आपेला छे गणधर स्थापना दिनने आश्रीने गणधर आराधना करनारा माटे पण उपयोगी थशे For Private & Personal Use Only २... www.jainelibrary.org
SR No.003634
Book TitleChaityavandan Parvamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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