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चैत्यवन्दन
हा हा भरते हो गया, मोह अति अंधार...२... वीतराग नहीं रागहे, अक पखो मुज राग, निष्फल अम चिंतित गयो, गौतम मनसे भाग...३... मान कियो गणधर हुआ, राग कियो गुरु भक्ति, खेद कियो केवल लीयो, अद्भुत गौतम शक्ति...४... दीप जगावे राय ते, तिणे दिवाली नाम, पडवाने दिन केवली, उत्सव दिन अभिराम...५...
[२] बिरुद धरी सर्वज्ञजें, जिन पासे आवे, मधुर वयणशं वीरजी, गौतम बोलावे...१... पंचभूत मांहे थकीओ, जे उपजे विणसे, वेद अर्थ विपरीतथी, कहो केम भव तरसे...२... दान दया दम त्रिहुं पदे अ, जाणे तेहिज जीव, ज्ञानविमल धन आतमा, सुख चेतना सदैव...३...
नमो गणधर नमो गणधर, लब्धी भंडार...१... इंद्रभूति महिमा नीलो,वड वजीर महावीर केरो, गौतम गोत्रे उपन्यो, गणि अग्यारमांहि वडेरो...२... केवलज्ञान लघु जिणे, दिवाली परभात, ज्ञानविमल कहे तेहना, नाम थकी सुखशात...३...
[४] इंद्रभूति पहेलो भj, गौतम जस नाम, गोबर गामे उपन्या, विद्याना धाम...१...
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