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________________ चैत्य वन्दन [३२] शुक्ल फाल्गुन चोथ दिवसे, च्यवन मल्लि जिनवरं, वैशाखनी सित चोथे चविया, अभिनंदन अधहरं... ३.. कृष्ण चैत्रे चोथ दिवसे, पार्श्वजिन केवलधरं, माघसितनी चोथें वरिया, चरण विमल जिनवरं ... ४... क्षायिक भावे नाण दर्शन, सकल आपद दुःखहरं रवि उदये जिनराज नमिओ, चोथ कल्याणक वरं... ५... पंचमी नुं चैत्यवन्दन अनन्तनाणी सिद्धठाणी, रैवताचले गीरिवरं, सुर किन्नर नरनाथ संस्तुत, नमो नेमि जिनेश्वरं ...१... शुक्ल श्रावण पंचमी दिन जन्म कल्याणकवरं, असित मागशर पंचमी शुभ, जन्म सुविधि जिनवरं ...२... अजित सम्भव अनंत मुक्ति, चैत्र शुदि पंचमी वरं, 1 कार्तिक पंचमी असित पक्षे, संभव केवलधरं ...३... कृष्ण पंचमी चैत्र मासे, च्यवन अष्टम जिनवरं, पंचमी वैशाखनी वदि, चरित कुन्थु जिनवरं ...४... धर्म जिनवर मुक्तिगामी, जेष्ठ सित पंचमी वरं वहाणुं वाता रवि प्रणमे, पंचमी दिन जिनवरं ... ५... छट्ठ नुं चैत्यवन्दन मांडवगढ नो राजीयो, नामे देव सुपास, फाल्गुन कृष्णनी छठ दिने, पंचम ज्ञान प्रकाश...१... माघ जेठ वैशाख वदि, आषाढ़ शुदि छठ जाण, पद्म श्रेयांस शीतल जिणंद, वीर च्यवन कल्याण... २... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003634
Book TitleChaityavandan Parvamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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