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[ ५६ ]
चैत्यवंदन संग्रह
श्री महावीर स्वामिना चैत्यवंदनो
(१) शासन नायक जग जयो, वर्धमान वड वीर, उपकारी ऋण लोकनो, तारण भवजल तीर... १... त्रिशलानंदन वंदता कर्म होवे चकचूर, तुज मुख दीठा लहे, समकित तेज सनूर...२... मृगपति लंछन शोभतो, सिद्धारथ कुल भाण, कीर्तिचंद्र सुपसायथी, केशरविजे लहे नाण...३... (२)
जगबांधव जगनाथ,
वर्धमान जगदीसरु, जगदानंदन जिनवरु, जगतशरण शिवसाथ... १... अकल अमल जिन केवली, वक्त्र विमल जिनराज, भव्य विबोधन दिनमणी, मिथ्यात्व रविराज...२... अह चरम जिन ध्यानथी, सुख संश्रेय उदार, इह लोके शुभ सुख लहे, वीर जिणंद जुहार...३... (३)
त्रीस वरस गृहवास जास, त्रणे ज्ञाने स्वामी, चउनाणी चारित्रिया, निज आतम रामी ... १... बार वरस उपर वळी, साडा खट मास, घोर अभिग्रह आदर्यो, कीम कीजे तास...२... माघव शुदि दशमी दिने, पाम्या केवलनाण, पद्म कहे महोत्सव करो, चउवीह सुर मंडाण ...३...
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