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, चैत्यवंदन संग्रह
आवी जगदीश्वरा सामु जुओ जरा,
आपने चरण दास आव्यो...६... विनति सांभळो मकी मन मिळो, शरण आव्यानी सहाय करजो, आपी विश्वासने कापी कंकासने,
विश्वना नाथजी आश पूरजो...७... मूत्ति मन भावती गई चोवीशीमां,
भावे भरावी श्रावक अषाढी, __ मूर्छना पामीया यादवो युद्धमां,
कृष्णदेवे बहार तदा काढी...८... पुन्य पूजा करी शांति पाछी वळी, सर्व विपदा टली हे कृपालु, अजित सूरि उच्चरे वहार करजो हवे,
सेवना सेव्य छो हे दयालु......
[२२] विमल केवल ज्ञान समुज्ज्वलं, सकल दुर्जय कर्म विनाशकम्, निखिल सद्गुण भूषण भूषितं,
निशदिन प्रणमामि जगत्प्रभुम्...१... जगतिनाथ जिनेश्वर शंकरं,
भविकपद्म सुबोध दिवाकरम्, __ सुर नरेन्द्र समग्र सुपूजितं,
सकल सिद्धि समृद्धि प्रदायकम्...२...
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