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चैत्यवंदन संग्रह
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कमठ तणो मद गाळिने, तार्यो नाग तिवार, नवकारमंत्र सुणावीने, आप्यो समकित सार...४.. अकण भवने अंतरे, पामशे मुक्ति सुठाम, पासप्रभु मोये दीजिये, कीर्तिचंद्र शुभ धाम...५..
[१६] सेवो पार्श्व चिंतामणी, शंखेश्वर श्रीकार, वरकाणे वंदु सदा, आपे रिद्धि अपार...१ थंभणपुर वंदु वलीः जीरावलो जगनाथ, अमीझरो पंचासरो, आपे शिवपुर साथ...२... डुआ पार्श्व जिन पेखतां, फलवरधी करे आप, अंतरिक्ष त्रिभुवन घणी, टाले पाप संताप...३... मक्षीमंडण पासजी, मालवदेश मझार, शमीनो सुशोभे सदा, मेवाडे श्रीकार...४... करेडा पारस पेखतां, नाकोडे वली जाण, अजायरो प्रभु भेटतां, आपे पद निरवाण...५... पार्श्व प्रभु जिनराजनां, नाम तणो नहिं पार, गुण गाया गोडी तणा, आहोर नयर मोझार...६... इगताली आशोजमें, पूनम दिन प्रसिद्ध, कीर्तिचंद्र ध्यावे सदा, आपो अविचल रिद्ध...७...
श्री स्थंभन पार्श्व जिन का चैत्यवंदन (१७) श्री सेढी तट मेरू धाम, थंभणपुर ठाम, सुरतरु सम सिरि पास सामे, राजे अभिराम...१... बिबुधेसर सिरि अभयदेव, संठ वियाणं दिय, थइ जल सिंचिय नीलवरण, फण पल्लव मडिय...२...
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