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तीर्थ-जिन विशेष
[७६] जुक्ति सहित जालोरमें, भेट्यो गोडी पास, अनुभव इंद्र उग्यो, सोल कलाओ खास...४... सुखकर गोडी पासजी, सुणिये अरजी अह, कीत्तिचंद्र कहे दीजिये, संपत्ति सुखनुं गेह...५...
श्री भिन्नमाल मंडन पास जिन चैत्यवंदन [१४] पुर भिनमाले पासजी, भेट्या सुख भरपूर, दुःख दोहग दूरे हरे, दिन दिन चढते नूर...१... काशीदेश वाणारसी, अश्वसेन कूलचंद, तरण तारण त्रेवीसमो, वामा राणी नंद...२... अकसो वषंनो आउखो, नीलवर्ण सुखकार, सोलह सहस मुनिवर कह्या, चरण करण भंडार...३... सहस अडतीश साहुणी, अक लाख अधिका जोय, सहस चोसठ श्रावक भला, बारे व्रतधारी होय...४... तीन लाख कही श्राविका, सत्तावीश हजार, दश गणधर अति दोपता, प्रभुजीनो परिवार...५... भाख्यो सुविहित मुनिवरे, सूत्र तणे अनुसार, धर्मविजय समरे सदा, भवोदधि पार उतार...६...
श्री वरकाणा पार्श्व जिन चैत्यवंदन [१५] त्रिभुवनपति वेवीसमो, श्री वरकाणो पास, बंधन त्रोडे भव तणा, पूरे वांछित आस...१.. चैत्र वदि चोथी दिने, अवतर्या आधी रात, दशमा प्राणत कल्पथी, वामा जेहनी मात...२... पोष वदि दशमी दिने, जन्म्या पार्श्व कुमार, अश्वसेन कुल दिनकरु, उपकारी अवतार...३...
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