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तीर्थ - जिन विशेष
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देवाधिदेवनी करे सेवा, कमठ ने काढी परो, नित्य जाप जपीओ पाप खपीओ स्वामि नाम शंखेश्वरो.६ क्रमे पामी केवलज्ञान कमला, संघ चउविह स्थापीने, प्रभु गया मोक्षे समेतशिखरे, मास अणसण पालीने, शिवरमणी रंगे रमे रसीयो, भविक तस सेवा करो, नित्य जाप जपीओ पाप खपीओ स्वामि नाम शंखेश्वरो. ७ भूत प्रेत पिशाच व्यंतर, जलण जलोदर भय टले, राजराणी रमा पावे, भक्ति भावे जो मले, कल्पतरुथी अधिक दाता, जगत त्राता जय करो, नित्य जाप जपीओ पाप खपीओ स्वामिनाम शंखेश्वरो. म जरा जर्जरी भूत यादव, सैन्य रोग निवारता, वढीयार देशे नित बिराजे, भविक जीवने तारता, अ प्रभुतणां पद पद्म सेवा, रूप कहे प्रभुता वरो, नित्य जाप जपीओ पाप खपीओ स्वामि नाम शंखेश्वरो. 8
[=] ॐ नमः पार्श्वनाथाय, विश्यचिंतामणीय ते, ह्रीं धरणेन्द्र वैरोट्या, पद्मादेवी युताय ते...१... शांति तुष्टि महापुष्टि धृति कीति विधायिने,
ॐ ह्रीं द्विड् व्याल वैताल सर्वाधि व्याधि नाशिने...२... जया जिताख्या विजयाख्या पराजितयान्वित,
दिशां
पालैर्ग्रहैर्यक्षैः
ॐ असिआउसाय नमस्तत्र त्रैलोक्यनाथता,
विद्यादेवीभिरन्वित...३...
चतुःषष्टि सुरेन्द्रास्ते, भाषन्ते छत्र चामरैः...४...
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