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तीर्थ-जिन विशेष
श्री पार्श्वनाथ भगवंतना चैत्यवंदनो
[१] जय जय शिखर गिरीश इश, वीश जिनेसर नामी अणसण करी इहां कणे, पंचमी गति पामी...१ बीजा पण बहु मुनिवरा, शिवगतीना गामी, परमातम पद पामीआ, वंदु शिरनामी...२ ओ अवदात सुणी करी, हुं ओ पद कामी, आव्यो छु तुज आगळे, किम कीजे खामी...३ श्री शामळीआ पार्श्वनाथ, तुं छे दीनदयाल, ओ अरजी सुणो माहरी, द्यो शिवपद रसाल...४ हुं अनाथ भमीयो घणुं, न मल्यो तुम सम नाथ, आपो पद पोता तणु, राखो निज साथ...५ राग रोष क्रोधे भर्यो, निंदक अने अविवेक, अ सघलु उवेखीने, राखो मुज टेक...६ मुज पापोनां पापने, दूरे करी हजूर, निज लक्ष्मीने आपशो, आशा छे भरपूर...७
[२] पुरिसादाणी पासनाह, नमीये मन रंग, नील वरण अश्वसेन नंद, निर्मल निःसंग...१... कामित दायक कल्प साख, वामा सुत सार, श्री गोडी पुर स्वाम नाम, जपिये निरधार...२... त्रिभवनपति त्रेवीशमो अ, जास अखंडित आण, अक मने आराधतां, लहिये कोड कल्याण...३...
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