________________
[६८]
चैत्यवंदन संग्रह
गढ गिरनारे जेणे लह्योओ, अमृत पद अभिराम, तास क्षमाकल्याण मुनि, अहनिशि करे प्रणाम...३...
(१०) बावीशमा श्री नेमिनाथ, घोर ब्रह्मव्रतधारी, शक्ति अनंती जेहनी, त्रण भुवन हितकारी...१... इन्द्र चन्द्र नागेन्द्रने, वासुदेवो सर्वे, चक्रवर्तीओ नेमिने, वंदे रहो अग।...२... कृष्णादिक भक्तो घणाओ, जेहनी सेवा सारे, अवा परमेसर विभु, सेवता सुख भारे...३...
(११) सच्छील संजित तारकारि, स्वरूप संनिर्जीत संवरारिं, कन्दर्प मातंग विभेद भारी,
नमामि नित्यं जिन नेमिनाथं...१... शंखाकि तांधीं वरनील कांति, स्वकीय वाण्या कृत लोकशांति, देवादिदेवं विहिताक्ष दांति,
नमामि नित्यं जिन नेमिनाथं...२... मुक्ति प्रिया कंठ वितानहारं, यशः सदाराम सुसार सारं, संलब्ध संसार जलेश पारं,
नमामि नित्यं जिन नेमिनाथं...३...
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org