________________
तोर्थ-जिन विशेष
[२३]
मानुषोत्तर नगवरे जेह चैत्य, नंदीसर रूचक कुंडले छे पवित्त, तिलिोकमां चैत्य नमीये सुठामे...नमो... प्रभु ऋषभ चंद्रानन वारिषण, वलो वर्द्धमानभिधे चार श्रेण, अह शाश्वता बिंब सवि चार नामे...नमो...१० सवि कोडि सय पनर बायाल धार, अठावन लख सहस छत्रीस सार, अॅशी जोइश वण विना सिद्धि धामे...नमो...११ अशाश्वत जिनवर नमो प्रेम आणी, केम भांखिये तेह जाणी अजाणी, बहु तीर्थने ठाम बहु गाम गामे...नमो...१२ ओम जिन प्रणमीजे मोह नपने दमीजे, भव भव न भमीजे पाप सर्वे गमीजे, परभाव वमीजे, जो प्रभु अट्ठमीजे, पद्मविजय नमीजे आत्मतत्त्वे रमीजे....नमो...१३
सकल मंगलकार अही, सिद्ध सकल पय ठाण, स्याद्वाद साधन पद अही, अध्यात्म गुण ठाण,
सही अ नमो जिणाणं...१ बहोंतेर लक्ख कोडि भवणवइ,
सासय जिणहर माणं, तेरशे नेव्यासी कोडि सग सट्टी,
बिंबह परिमाणं...सही...२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org