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तीर्थ-जिन विशेष
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श्री वासुपूज्य जिन चैत्यवंदन वासुपूज्य चित्तमां वस्या, मनहर मोटा देव, अणहुत कोडि अक सूर, निश दिन करतां सेव...१... दीजिये दरिसण ज्ञान मुज, महेर करी महाराज, चारित्र तप तुंबे करो, भवोदधि पार उतार.. चंपापुरी सिध्यां तुमे, बारमां जिन सुखकार, धर्मविजय मोहे दीजिये, मुक्ति वधु भरतार...३...
श्री चन्द्रप्रभ का चैत्यवंदन
ॐ चंद्रप्रभ प्रभाधीश, चंद्रशेखर चंद्रभूः, चंद्र लक्ष्यांक चंद्रांक, चंद्रविजय नमो स्तुते...१. ॐ ह्रीं श्रीं चंद्रप्रभु, ह्रीं श्री कुरु स्वाहा प्रभु, इष्ट सिद्धि महासिद्धि, तुष्टि पुष्टि कुरुभवा.. द्वादश सहस जप्ते, वांछितार्थं फल प्रदं, महिते श्री संघ जप्ते, सर्वाधि व्याधि नाशीने.. सुरा सुरेन्द्र महितश्री, पांडव नृप सुत श्री, चंद्रप्रभ तीर्थेशं श्रीयां, चंद्रा ज्वाला कुरु...४... श्री चन्द्रप्रभ विधेयं, स्मृत सिद्ध फलामत, भवाधि व्याधि विध्वंस, दायिनि मे वर सदा...५...
आनंद उपनो अति घणो, दुधडे वुठा मेह, चन्द्रप्रभ स्वामि तणो, पाम्यो दर्शन जेह...१... लखमणा उर सर हंसलो, पिता महसेन राय, चंद्रपुरीमां जनमीया, लंछन चंद्र सोहाय...२...
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