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चत्यवंदन संग्रह
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आयु दशलाख पूर्वनुं, दोढसे धनुषनी काय, सम्मेतशिखर मुक्ति गया, नित नित प्रणमुं पाय...३... पाप पडल दूरे गया, पवित्र थयो दिन आज, करुणानिधि विश्वेश्वरा, दीठा श्री जिनराज ... ४... दुस्तर भवसागर हरोओ, विनती मुज अवधार, सहज राजेश्वर जगधणी, वंदु वार हजार... ५... श्री भावि जिन पद्मनाभ स्वामिनु चैत्यवंदन प्रथम जिनेश्वर पद्मनाभ, समरू सुखकारी, भावि जिनवर भरहखित्त, मंडन मणिधारी...१... लांछन वरण सुदेह मान, थिति आयु प्रमाण, परमेश्वर श्री वर्धमान, जिनराज समान... २... उत्तम अमृत धर्मनो ओ, विरह निवारक जाण, भावि जिनवर भेटीये, कारण सदा कल्याण... श्री सामान्य जिन चैत्यवंदनो
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..३...
जय जय श्री जिनराज आज, मलीयो मुज स्वामी, अविनाशी अकलंक रूप, जग अंतरजामी...१... रूपारूपी धर्मदेव, आतम आरामी, चिदानंद चेतन अचित्य, शिव लीला पामी...२... सिद्ध बुद्ध तुं वदतां सकल सिद्धि वर बुद्धि, राम प्रभु ध्याने करी, प्रगटे आतम ऋद्धि...३... काल बहु स्थावर गृही, भमीयो भवमांहि, विकलेंद्रियमांहि वस्यो, स्थिरता नहीं क्यांहि... ४...
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