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तीर्थ-जिन विशेष
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पुरुषोत्तम परमेष्टि रूप, परमातम योगी, परमानंद प्रकाशवान, अक्षय उपयोगी...१...
निज अनंत पर्याय युत, काल त्रितय वेदी जिणंद, केवलज्ञानने दरिसन अ, ते श्री नमि जिनराजने, दान नमे धरी हेज... ३..
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सवि जाणे द्रव्य, लहे भव्याभव्य ...२... जलहले अंतर तेज,
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(३) नमो नमो श्री नमि जिनवरु, जगनाथ नगीनो, पद युग प्रेमे जेहना पूजे पति शचीनो... १ सिंहासन आसन करी, जग भासन जिनराज, मधुर ध्वनि दिये देशना, भविजनने हित काज... २ गुण पांत्री अलंकरीओ, प्रभु मुख पद्मनी वाणी, ते नमिजिननी सांभली, शुद्ध रूप लहे प्राणी... ३ (४)
नमो नमि जिन नमो नमि जिन, मुगति दाता रे... १ सोवन वाने सोहतो, सकल लोक जस सेवा सारे, सुमति सुगतिने आपतो, सकल कर्मना दोष वारे... २ अकवीशमो जिन पूजीओ, जिम लहोये भव पार, ज्ञानविमल सूरि इम भणे, अ प्रभु जगदाधार.... (५)
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गोत्र काश्यप गोत्र काश्यप, वंश इक्खाग... १ श्री नाम जिननो जागिये, सयल लोय आणंद कारण, अवनितलमां उपन्या मानुं, तेह सवि भविक तारण... २
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